हरियाणा में सरपंचों और सीएम मनोहर लाल में हुई साढ़े चार घंटे बैठक, ई-टेंडरिंग-टोल समेत इन मुद्दों पर हुई चर्चा, देखें एक नजर में
चंडीगढ़। पंचायतों में दो लाख रुपये से अधिक के विकास कार्य ई-टेंडरिंग से कराने के निर्णय और पंचायत प्रतिनिधियों पर लागू राइट टू काल कानून को वापस लेने सहित विभिन्न मांगों को लेकर सरकार और सरपंच एसोसिएशन के बीच बैठक हुई। हरियाणा निवास में बृहस्पतिवार शाम छह बजे से रात करीब सवा 11 बजे तक चले बैठकों के दो दौर के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल और सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारी संतुष्ट नजर आए।
बैठक के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि साढ़े चार घंटे चली वार्ता सकारात्मक रही है। अधिकतर मांगों पर सहमति बन गई है। शुक्रवार सुबह दोनों पक्षों में एक बार फिर बैठक होगी और उम्मीद है कि 10 मिनट में ही कोई खुशखबरी मिल जाएगी।
मुख्यमंत्री से मुलाकात से पूर्व सरपंचों का 25 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पंचकूला के सेक्टर छह स्थित पुलिस मुख्यालय पहुंचा। यहां पर डीआइजी ओम प्रकाश नरवाल के साथ उनकी बैठक हुई। प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें विश्वास दिलाया कि सरपंच अपनी मांगों काे विस्तारपूर्वक एवं शांतिप्रिय ढंग से मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल चंडीगढ़ रवाना हो गया।
हरियाणा निवास में शाम छह बजे बैठक शुरू हुई। पहला दौर रात सवा नौ बजे तक चला जिसमें सकारात्मक बातचीत हुई। करीब सवा तीन घंटे की मैराथन बैठक में मांगों पर लंबी चर्चा हुई। फिर आधा घंटे के लिए बैठक स्थगित कर दी गई। इस दौरान जहां सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारियों को भोजन कराया गया, वहीं मुख्यमंत्री ने अफसरों के साथ मांगों पर विस्तार से चर्चा की।
बैठक का दूसरा चरण भी करीब सवा घंटे तक चला। बैठक के बाद दोनों खेमे बातचीत से संतुष्ट दिखे। हालांकि मुख्यमंत्री ने यह कहकर अपने पत्ते खोलने से इंकार कर दिया कि जब तक बातचीत सिरे नहीं चढ़ जाती, कुछ नहीं बोलना चाहिए।
उन्होंने दावा किया कि शुक्रवार सुबह तक सब कुछ ठीक हो जाएगा। इससे पहले 27 फरवरी को पंचायत विकास मंत्री देवेंद्र बबली के साथ सरपंचों की बैठक हुई थी जिसमें बातचीत सिरे नहीं चढ़ पाई। हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारी जहां किसी भी हालत में ई-टेंडरिंग को स्वीकार नहीं करने और सरपंचों के राइट टू रिकाल के नियम को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे थे, वहीं पंचायत विकास मंत्री ने ई-टेंडरिंग के फायदे गिनाते हुए इस नीतिगत फैसले को वापस लेने से इंकार कर दिया था।
बहरहाल सीएम के साथ वार्ता में सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारियों का रुख शुरू से ही सकारात्मक दिखा। हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष रणबीर समैण ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार मामले में जल्द ही कोई समाधान निकालेगी।
इन मांगों पर हुई चर्चा
1. संविधान के 73वें संशोधन की 11वीं सूची में शामिल 29 अधिकारों को पूर्ण रूप से लागू किया जाए
2. 50 लाख रुपये से अधिक के कार्य ही ई-टेंडरिंग से कराए जाएं। भुगतान सरपंच के माध्यम से चेक द्वारा किया जाना चाहिए। आवेदन फीस पंचायत के खाते में आनी चाहिए
3. ग्राम पंचायतों में कार्यरत सभी विभागों के कर्मचारियों की एसीआर लिखने का अधिकर सरपंच को दिया जाए या ये कर्मचारी सरपंच के अधीन किए जाएं
4. विकास कार्यों में कमी पाई जाने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए न कि सरपंच के खिलाफ। सरपंच टेक्निकल नहीं होता
5. सरपंचों का टोल टैक्स माफ हो
6. ग्राम पंचायत की जमीन की रजिस्ट्री का एक प्रतिशत पैसा पंचायत के खातों में दिया जाए
7. घरेलू बिजली के बिलों का दो प्रतिशत पैसा पंचायत के खाते में दिया जाए
8. ग्राम पंचायतों में सरकार द्वारा कराए जाने वाले सभी कार्यों में गुणवत्ता/ कार्य पूर्ण होने का प्रमाणपत्र सरपंच से लेना अनिवार्य किया जाए
9. सरपंचों का मानदेय 3000 रुपये से बढ़ाकर 30 हजार और पंचों का मानदेय 1000 रुपये से बढ़ाकर पांच हजार रुपये किया जाए
10. राइट टू रिकाल कानून पहले सांसद-विधायकों और फिर स्थानीय निकायों में लागू किया जाए
11. पंचायत सचिवालय में कामन सर्विस सेंटर व आपरेटर अलग से स्थापित किया जाए
12. पूर्व सरपंचों की पेंशन 1000 रुपये से बढ़ाई जाए
13. मनरेगा का भुगतान तीन महीने के अंदर होना चाहिए। ब्लाक लेवल पर भुगतान की व्यवस्था हो। दैनिक मजदूरी 321 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये की जाए। मनरेगा की आनलाइन हाजिरी बंद की जाए
14. आंदोलन के दौरान दर्ज केस वापस लिए जाएं
15. पंचायती जमीन पर अवैध कब्जे हटाए जाएं
16. पीआरआइ की बकाया राशि पंचायत के खातों में जारी की जाए