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अब भारत वापिस आएगा कोहिनूर, बस्तर महाराज जुटा रहे है कानूनी दस्तावेज

कोहिनूर हीरा दुनिया के सभी हीरों का राजा है, जिसे गोलकुंडा (भारत) की एक खदान से निकाला गया था
 

नई दिल्ली :- कोहिनूर हीरा दुनिया के सभी हीरों का राजा है, जिसे गोलकुंडा (भारत) की एक खदान से निकाला गया था. कोहिनूर को फारसी में "कुह-ए-नूर" कहा जाता है, जिसका अर्थ है "प्रकृति की महान आभा या प्रकाश का पर्वत. कई मुगल बादशाहों और फ़ारसी शासकों से गुज़रा यह हीरा अंततः ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया और अब उनके खजाने में शामिल है. कोहिनूर कभी दुनिया का सबसे बड़ा हीरा था, लेकिन समय के साथ यह अलग-अलग कारणों से नष्ट हो गया. भले ही यह अंग्रेजों के कब्जे में था, लेकिन किसी समय भारत इसका हकदार था. वहीं, अब ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद उनके ताज में लगा कोहिनूर हीरा एक बार फिर चर्चा में आ गया है. ताज में लगे कोहिनूर हीरे को भारत वापस लाने की मांग फिर उठने लगी है. कोहिनूर को भारत वापस लाने की इच्छा सभी नागरिक के दिलों में है.

कोहिनूर हीरे को भारत वापस लाने की तैयारी

इस कोहिनूर हीरे को दुनिया के सबसे खास रत्न का दर्जा प्राप्त है. 105.6 कैरेट का ये कोहिनूर लोगों की आंखों को बहुत लुभाता है. 21.6 ग्राम के इस हीरे की मौजूदा कीमत करीब 150 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है. वारंगल में उसे भारत वापस लाने के लिए दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं. इस दुर्लभ हीरे का वारंगल से बस्तर आए काकतीय राजाओं से विशेष संबंध है. बस्तर महाराजा कमलचंद भंजदेव राज का दावा है कि कोहिनूर कभी काकतीय शाही परिवार की संपत्ति रहा है.

कोहिनूर का छत्तीसगढ़ से Special रिश्ता

कोहिनूर हीरे का छत्तीसगढ़ के बस्तर से विशेष जुड़ाव है. भंजदेव का कहना है कि उन्हें यह बात ज्ञात नहीं थीं कि कोहिनूर का छत्तीसगढ़ के बस्तर से विशेष जुड़ाव है. इस बात की जानकारी उन्हें छत्तीसगढ़ के दिवंगत नेता रामचंद्र सिंहदेव ने भी दी थी. बस्तर के महाराजा कमलचंद्र भंजदेव ने दावा किया है कि 8 हजार किलोमीटर दूर लंदन में कोहिनूर हीरे के असली मालिक बस्तर काकतीय राजघराने के पूर्वज रहे हैं.

कोशिश पूरी है जारी : कमलचंद्र भंजदेव

छत्तीसगढ़ के बस्तर महाराजा कमलचंद्र भंजदेव ने कहा कि हम लगातार कोहिनूर से जुड़े दस्तावेज जुटा रहे हैं. हमें कई ऐतिहासिक दस्तावेज भी मिले हैं. वारंगल गजेटियर के अलावा अन्य स्रोतों से भी कागजात जुटाए जा रहे हैं. जैसे ही हमारी तलाशी पूरी होगी, कोहिनूर पर दावा भारत सरकार के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा.

कमलचंद्र भंजदेव ने साझा की जानकारी

1303 ई. में मलिक काफूर, जिसे हजार दिनारी के नाम से भी जाना जाता है, मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी का गुलाम वारंगल पहुंचा और रुद्रदेव द्वितीय को खिलजी सल्तनत को अपना राज्य सौंपने की चेतावनी दी. कमलचंद्र भंजदेव बताते हैं कि उस चेतावनी के बाद खिलजी से अंतिम युद्ध हुआ था. इस युद्ध के दौरान ही कोहिनूर हीरा चोरी हो गया था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वह हीरा काकतीयों के देवी मंदिर से चुराया गया था या वारंगल के खजाने से, फिर हमारा कोहिनूर हीरा मुस्लिम शासकों के पास गया. बाद में इसे ब्रिटिश सत्ता को सौंप दिया गया और इसे ब्रिटिश क्राउन में सन्निहित कर दिया गया.