भारत-पाक सीमा पर सुरक्षा के मद्देनज़र बीएसएफ ने बड़ा फैसला लिया है। अटारी-वाघा, हुसैनवाला और सादकी सीमा चौकियों पर हर शाम होने वाला बीटिंग रिट्रीट समारोह अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है। हालांकि, रोज़ाना सूर्यास्त के समय तिरंगे को सम्मानपूर्वक उतारने की प्रक्रिया पहले की तरह जारी रहेगी। यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद लिया गया है। इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई थी। बीएसएफ के इस फैसले के पीछे जन सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए व्यापक रणनीतिक सोच दिखाई दे रही है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, जिसमें देशभर से पहुंचे 26 पर्यटकों को आतंकवाद का निशाना बनाया गया। इसके बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने बुधवार सुबह तड़के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया। इस अभियान के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओजेके) में सक्रिय आतंकी ढांचे को गहरी चोट पहुंचाई गई। इस सटीक कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के नौ प्रमुख शिविरों को ध्वस्त किया गया। इनमें से चार ठिकाने पाकिस्तान की सीमा के भीतर थे जबकि शेष पांच पीओके में स्थित थे।
बीएसएफ की तरफ़ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि बीटिंग रिट्रीट समारोह पर रोक जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक एहतियाती कदम है। यह आयोजन वर्षों से भारत-पाक संबंधों के एक प्रतीक के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन मौजूदा सुरक्षा खतरे को देखते हुए बीएसएफ ने इसे फिलहाल निलंबित करने का निर्णय लिया है।
इसी बीच, राष्ट्रीय स्तर पर उच्चतम स्तर की तैयारियां भी तेज़ हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के सचिवों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एक अहम बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में इंटर-मिनिस्ट्री कोऑर्डिनेशन और संचालन में निरंतरता बनाए रखने पर विशेष बल दिया गया। प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि सभी मंत्रालय अपनी तैयारियों की समीक्षा करें और किसी भी आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए पूरी तरह सक्षम रहें। मंत्रालयों को विशेष रूप से आंतरिक संचार, आपदा प्रतिक्रिया और तत्परता से जुड़े प्रोटोकॉल की जांच करने को कहा गया है।
इस पूरे घटनाक्रम में भारत की रणनीतिक स्पष्टता, सुरक्षा पर गंभीरता और आतंक के प्रति कठोर रुख साफ दिखाई दे रहा है। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद सरकार का यह रुख न केवल जन विश्वास को मज़बूत करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की आतंकवाद के विरुद्ध प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।