घर में भेदभाव झेलने पर विद्या बालन ने जब जाहिर किया गुस्सा, वजह ऐसी जिसे आज भी झेल रही हैं कितनी लड़कियां

इंडियन सोसाइटी में पुरुष और महिलाओं के बीच उनके रोल्स को लेकर हमेशा जंग छिड़ी रहती है। घर में महिला और पुरुष दोनों के काम करने के बावजूद उनके काम को वो महत्व नहीं मिल पाता है। भले ही वह अपना कोई जरूरी काम कर रही हों, लेकिन बच्चों से लेकर घर का कोई भी सदस्य महिला को ही डिस्टर्ब करता है। दूसरी तरफ पुरुषों को अपना ऑफिस वर्क करता देख किसी की हिम्मत नहीं होती कि कोई उन्हें काम के बीच कुछ पूछ भी सके।
हाल ही में विद्या बालन का एक ऐसा वीडियो इंटरव्यू सामने आया, जिसमें वह घर में होने वाले भेदभाव के बारे में बात करती दिख रही थीं। उन्होंने पुरुषों और वर्किंग विमन होने के बावजूद घरों में होने वाले जिस अलग रवैया का जिक्र किया, ऐसा महसूस करने वाली वह अकेली नहीं हैं बल्कि कई और औरतें भी हैं।
घर में महिला के काम को नहीं मिलता सम्मान
इस बात का जिक्र किया था कि कैसे घर की मेड भी कभी उनके पति को काम के बीच में डिस्टर्ब नहीं करती लेकिन उनके पास झट से चली आती है। विद्या ने कहा, 'मैं और सिद्धार्थ एक वक्त पर कॉल पर थे।उस दौरान घर के हाउसहेल्प मुझे डिस्टर्ब करने में कोई दिक्कत महसूस नहीं करते हैं, लेकिन सिद्धार्थ को उनके काम के बीच कुछ पूछने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं, क्योंकि मुझे लगता है कि वे सोचते हैं कि मर्द काम करता है और औरत कुछ नहीं करती, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं क्या करती हूं।
घरों में महिलाओं के काम को रिस्पेक्ट नहीं मिलती है, उन्हें लगता है कि ठीक है न दीदी को तो काम के बीच भी पूछ सकते हैं।' विद्या ने जिस तरह अपना अनुभव शेयर किया, ऐसा सिर्फ उनके साथ ही नहीं बल्कि ज्यादातर महिलााओं को इन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है।
डबल स्टैंडर्ड के कारण करियर पर लग जाता है ताला
इस बात में कोई दोराय नहीं है कि शादी के बाद हर लड़की की जिंदगी में बदलाव आते हैं। उसपर घर संभालने और मैनेज करने का दबाव बना रहता है। इस प्रेशर के कारण कई बार महिलाओं को अपने करियर से हाथ धोना पड़ता है। जबकि घर को हैंडल करने की जिम्मेदारी सिर्फ महिला की नहीं बल्कि पुरषों की भी उतनी ही होती है। शादी दो लोगों की साझेदारी का नाम है, जिसमें पति का सपोर्ट मिलने से पत्नियां भी अपने काम पर बराबरी से फोकस कर सकती हैं।
आत्म-निर्भर महिलाएं आज भी नहीं आती समझ
जो महिलाएं इन्डिपेंडेंट हैं, उसे समझ पाने में समाज आज भी बहुत दूर है। सोसाइटी में एक बहू को उसके घर के काम से जज किया जाता है, भले ही बाहर वह कितनी भी मेहनत क्यों न कर रही हो। यही कारण है कि अपने करियर में एक महिला कितनी भी आगे क्यों न बढ़ जाए, लेकिन ससुराल में उसे उस तरह से सम्मान नहीं मिल पाता है जो एक पुरुष को मिलता है। हालांकि महिलाओं को खुद अपनी अहमियत समझने की जरूरत है और दूसरों की बातों पर ध्यान न देकर अपने काम पर फोकस करना चाहिए।